लोकसभा में विपक्ष का नेता राहुल गांधी ने 7 अगस्त 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस में “vote theft” (वोट चोरी) के गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उन्होंने कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 100,250 मतों की कथित चोरी का उल्लेख किया। कांग्रेस ने बताया कि इसी जांच के दौरान उन्होंने एक 70 वर्षीय महिला, शकुन रानी, के दो बार वोट डालने का दस्तावेज दिखाया, लेकिन चुनाव आयोग (EC) ने तुरंत इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि preliminary inquiry में रानी ने केवल एक बार मतदान किया और डॉक्यूमेंट polling officer द्वारा जारी नहीं किया गया था। आयोग ने राहुल गांधी को 10 अगस्त तक formal declaration जमा करने या देश से माफी मांगने का notice भेजा।
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वोट चोरी के आरोप और ECI का Fact-Check
राहुल गांधी ने अपने presentation में internal analysis के आधार पर दावा किया कि महादेवपुरा सीट पर duplicate voters, fake addresses, और bulk voter registrations से भाजपा और EC की मिलीभगत से चुनावी परिणाम को manipulate किया गया। EC ने पांच-point reply में स्पष्ट किया कि “tick-marked document” polling officer द्वारा जारी नहीं किया गया और preliminary enquiry में रानी ने दो बार वोट डालने से इंकार किया। आयोग ने राहुल को कहा कि यदि वे अपने analysis के पीछे के records और documents पेश नहीं करेंगे तो उन्हें apologise करना होगा।
संसद से EC कार्यालय तक: INDIA ब्लॉक का Protest March
11 अगस्त को राहुल गांधी ने INDIA ब्लॉक के लगभग 300 MPs के साथ संसद परिसर से Election Commission आफिस तक मार्च का नेतृत्व किया। यह प्रदर्शन बिहार में Special Intensive Revision (SIR) of electoral rolls के खिलाफ था और alleged “vote chori” को highlight करने का प्रयास था। दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन को unauthorized बताते हुए नेताओं को Parliament Gate पर रोका और गिरफ्तार किया; राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई opposition MPs को बुक कराया गया। इस गिरफ्तारी के बाद भी राहुल गांधी ने जोर देकर कहा, “This fight is not political, it is to save the Constitution and One Man One Vote”।
“Sign Declaration or Apologise” की दोबारा Notice
EC ने Karnataka और Haryana के chief electoral officers के नोटिस के बाद भी पुनः राहुल गांधी को विकल्प दिया: या तो वे Conduct of Election Rules के तहत घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करके अपने आरोपों का समर्थन करें, या देश से माफी मांगें। आयोग ने कहा कि यदि formal declaration नहीं मिला तो इसका मतलब होगा कि राहुल अपने analysis पर विश्वास नहीं करते और उन्होंने “absurd allegations” लगाए हैं।
राजनीति का रंग: BJP की तीखी प्रतिक्रिया
भाजपा ने राहुल गांधी की मांगों को राजनीतिक theater करार दिया। पार्टी के Amit Malviya ने कहा कि यदि राहुल गांधी की credibility बचानी है तो उन्हें either declaration के साथ आरोपों को साबित करना होगा या लोकसभा से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। Union Education Minister Dharmendra Pradhan ने आरोप लगाया कि विपक्ष अनावश्यक विरोध प्रदर्शन करके देश में anarchy की कोशिश कर रहा है।
डिजिटल वोटर लिस्ट की मांग और अगला कदम
राहुल गांधी ने Election Commission से demand की है कि पूरे देश की electronic voter list machine-readable format में उपलब्ध कराई जाए और polling booth की CCTV footage प्रदान की जाए, ताकि “vote chori” के सारे दावे आसानी से audit किए जा सकें। उन्होंने कहा कि अगर EC डेटा दे देता है तो Congress पूरे देश में stolen seats का proof पेश कर देगा और साबित करेगा कि “one person, one vote” का सिद्धांत मामूली मतों के आधार पर भी प्रभावित हुआ है।
निष्कर्ष: लोकतंत्र की जंग और भविष्य
राहुल गांधी बनाम चुनाव आयोग का यह टकराव भारत के चुनावी processes की पारदर्शिता, न्यायिक अधिकार क्षेत्र, और लोकतांत्रिक सिद्धांतों—“One Man One Vote”—पर गहरा सवाल उठाता है। विपक्ष का March, आयोग की notices, और भाजपा की प्रतिक्रिया इस लड़ाई को राजनीतिक theater से constitutional crisis तक ले गए हैं। आने वाले दिनों में तय होगा कि:
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क्या Rahul Gandhi formal declaration के साथ आरोप साबित कर पाएंगे?
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Election Commission डिजिटल वोटर लिस्ट जारी कर transparency बढ़ाएगा?
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लोकतंत्र में “vote chori” के आरोपों का judicial resolution होगा या political bargaining?
इस संघर्ष का नतीजा न सिर्फ कांग्रेस और EC की credibility पर असर डालेगा, बल्कि future elections में electoral integrity की कसौटी भी तय करेगा।

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