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बेंगलुरु में बाइक टैक्सी बैन के खिलाफ सोशल मीडिया पर विरोध, यूज़र्स ने कहा – “We Need Bike Taxi”

बेंगलुरु — कर्नाटक सरकार द्वारा बाइक टैक्सी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद राजधानी बेंगलुरु में यात्रियों और बाइक चालकों के बीच गहरी नाराजगी फैल गई है। हजारों लोगों ने सोशल मीडिया पर #WeNeedBikeTaxi और #BackwardPolicyKillsProgress जैसे हैशटैग्स के ज़रिए सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।

सरकार के फैसले के खिलाफ उठी जनता की आवाज़

Rapido, Uber और Ola की बाइक टैक्सी सेवाओं को हाल ही में राज्य में बंद कर दिया गया है। इस फैसले के खिलाफ सबसे ज़्यादा गुस्सा उन यात्रियों और राइडर्स में है जो हर दिन ट्रैफिक जाम, महंगी कैब राइड्स और लंबी वॉकिंग डिस्टेंस जैसी समस्याओं से जूझते हैं।

एक यूज़र ने ट्विटर (अब X) पर लिखा, “आप ऑटो वालों को सपोर्ट करने के लिए ट्रैफिक और खर्च बढ़ा रहे हैं? हमें फिर से #BikeTaxi चाहिए। सबसे आसान और सस्ता विकल्प यही था। कुछ लोग बिना दिमाग लगाए लाखों की ज़िंदगी से खेल रहे हैं।”

एक अन्य यूज़र ने कहा, “4 किमी की राइड के लिए ₹200 क्यों दूं या 2 किमी क्यों चलूं? बाइक टैक्सी हर रोज़ की ज़रूरत है, कोई लग्ज़री नहीं।”

‘बाइक पार्सल’ के नाम पर जारी है संचालन

हालांकि सरकार ने इन सेवाओं पर रोक लगा दी है, लेकिन कुछ कंपनियों ने इसका “जुगाड़” निकाल लिया है। Rapido और अन्य कंपनियों ने अपनी सेवाओं को अब ‘Bike Parcel’ और ‘Motor Courier’ के रूप में ब्रांड किया है, और इन्हीं नामों के तहत संचालन जारी रखा है। इससे यह साफ होता है कि मांग अब भी बनी हुई है और कंपनियां विकल्प खोज रही हैं।

रोज़गार और मोबिलिटी दोनों पर असर

एक यूज़र Viraj ने लिखा, “हर बंद हुई बाइक टैक्सी एक खोई हुई नौकरी और एक लेट हुई जर्नी है। हमें स्मार्ट मोबिलिटी चाहिए, रिग्रेसिव पॉलिसी नहीं।” सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं, जिनमें राइडर्स हाथों में पोस्टर लेकर सरकार से अपील कर रहे हैं।

Rapido विवाद: महिला से मारपीट का मामला

बाइक टैक्सी सेवा से जुड़े विवादों में Rapido फिर से सुर्खियों में आ गया है। हाल ही में एक महिला द्वारा ड्राइवर पर तेज़ रफ्तार में बाइक चलाने पर विरोध जताने के बाद कथित तौर पर मारपीट की गई थी। हालांकि सामने आए CCTV फुटेज से साफ़ हुआ कि पहले महिला ने ड्राइवर पर हमला किया था।

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क्या कहती है सरकार?

अब तक सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर कोई ठोस जवाब नहीं आया है। लेकिन बढ़ते जनविरोध और सोशल मीडिया पर उठ रही आवाज़ों को देखते हुए यह साफ है कि सरकार को जल्द ही अपना रुख स्पष्ट करना होगा।

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