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एआई की दुनिया में सफलता की कहानी: अरविंद श्रीनिवास का संदेश
आज से कुछ साल पहले, चेन्नई का एक बच्चा सोच भी नहीं सकता था कि वो एक दिन दुनिया की सबसे बड़ी तकनीकी कंपनियों को टक्कर देगा। यह कहानी है अरविंद श्रीनिवास की – एक साधारण परिवार से आने वाले उस शख्स की जिसने आज के समय में Perplexity AI बनाकर Google को चुनौती दी है।
बचपन से लेकर IIT तक का सफर
7 जून 1994 को चेन्नई में जन्मे अरविंद की कहानी बिल्कुल आपके और हमारे जैसे बच्चों की तरह है। उनकी मां का सपना था कि बेटा IIT मद्रास में पढ़े। “जब भी हम बस से IIT मद्रास के पास से गुजरते थे, मेरी मां कैंपस की तरफ इशारा करके कहती थी – ‘यहीं तुम्हें पढ़ना है'”।
मां का सपना पूरा हुआ। अरविंद ने IIT मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वो कंप्यूटर साइंस नहीं मिला था, जिससे वो थोड़े निराश भी थे। लेकिन इस निराशा ने ही उन्हें खुद से प्रोग्रामिंग और मशीन लर्निंग सीखने के लिए प्रेरित किया।
“मैं बचपन में Wikipedia पर घंटों बिताता था, एक लिंक से दूसरे लिंक पर जाता रहता था। Perplexity बस उन्हीं Wikipedia के शौकीन लोगों के लिए बनाया गया है”।
अमेरिका में बड़े सपनों की शुरुआत
IIT की पढ़ाई के बाद अरविंद अमेरिका गए Berkeley विश्वविद्यालय से PhD करने के लिए। यहां उन्होंने AI और मशीन लर्निंग में गहरी पढ़ाई की। Berkeley में पढ़ाई के दौरान उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी AI कंपनियों में काम किया:
- OpenAI में 2018 में रिसर्च इंटर्न बने
- DeepMind में लंदन जाकर काम किया
- Google में भी अहम प्रोजेक्ट्स पर काम किया
यहीं से उनका सपना साकार होना शुरू हुआ। उन्होंने खुद कहा है: “मैं उदाहरण ढूंढ रहा था उन उद्यमियों के जो शिक्षा की दुनिया से व्यापार में आए हों”।
Perplexity का जन्म: एक क्रांतिकारी विचार
2022 में अरविंद और उनके तीन साथियों ने मिलकर Perplexity AI की शुरुआत की। यह कोई आम सर्च इंजन नहीं था। इसे उन्होंने “Answer Engine” कहा – ऐसा टूल जो सवाल का सीधा जवाब देता है, न कि सिर्फ लिंक्स की लिस्ट।
आज Perplexity का वैल्यू 18 अरब डॉलर है और यह हर दिन 3 करोड़ से ज्यादा सवालों के जवाब देता है। Jeff Bezos जैसे बड़े निवेशकों का इस पर भरोसा है।
Instagram छोड़ो, AI सीखो – अरविंद का खास संदेश
हाल ही में अरविंद ने एक बात कही है जो हर नौजवान को सुननी चाहिए। Matthew Berman के साथ इंटरव्यू में उन्होंने साफ कहा: “Instagram पर डूमस्क्रॉलिंग में कम समय बिताओ, AI का इस्तेमाल करने में ज्यादा समय दो”।
उनका कहना है कि यह सिर्फ अपनी कंपनी के फायदे के लिए नहीं, बल्कि “नई समाज में अपनी जगह बनाने का तरीका है”।
क्यों जरूरी है AI सीखना?
अरविंद की चेतावनी बिल्कुल सच है। वो कहते हैं: “जो लोग AI के इस्तेमाल में आगे हैं, उन्हें नौकरी मिलने में बहुत आसानी होगी। यह पक्की बात है”।
लेकिन वो यह भी मानते हैं कि इंसान जल्दी बदलाव के साथ नहीं चलते: “इंसानी जाति कभी भी जल्दी अपनाने में तेज नहीं रही है। AI तकनीक हर तीन से छह महीने में बदल जाती है”।
नौकरियों का भविष्य और उद्यमिता की भूमिका
अरविंद ईमानदारी से स्वीकार करते हैं कि AI की वजह से कुछ नौकरियां जरूर जाएंगी। लेकिन वो समाधान भी सुझाते हैं: “या तो जिन लोगों की नौकरियां जाएंगी, वे खुद की कंपनियां शुरू करेंगे, या AI सीखकर नई कंपनियों में काम करेंगे”।
कैसे शुरुआत करें AI की दुनिया में?
अरविंद का सुझाव बहुत सीधा है:
Instagram पर समय बर्बाद करने की जगह:
- ChatGPT जैसे AI टूल्स सीखें
- इमेज जेनेरेटर का इस्तेमाल करें
- AI वीडियो एडिटिंग टूल्स आजमाएं
- नौकरी खोने की चिंता करने के बजाय AI स्किल्स बढ़ाएं
Comet ब्राउज़र: भविष्य की झलक
Perplexity ने हाल ही में ‘Comet’ नाम का AI ब्राउज़र भी लॉन्च किया है। अरविंद का दावा है कि यह “एक रिक्रूटर का पूरे हफते का काम एक प्रॉम्प्ट में कर सकता है”।
भारत के लिए विशेष संदेश
अरविंद भारतीय युवाओं के लिए एक खास संदेश रखते हैं। उन्होंने कहा है कि भारतीय AI टूल्स को जल्दी अपनाते हैं, लेकिन सिर्फ इस्तेमाल करना काफी नहीं है। “क्या आप कुछ ऐसा बना सकते हैं जो 10 करोड़ लोगों तक पहुंचे? यही तरीका है नया मार्केट कैप बनाने का”।
सफलता के पीछे का इंसान
अरविंद की कहानी हमें दिखाती है कि मेहनत, जिज्ञासा और सही दिशा में काम करने से कोई भी व्यक्ति बड़ी सफलता पा सकता है। वो TIME मैगजीन की “100 Most Influential People in AI” की सूची में भी शामिल हैं।
उनका संदेश साफ है: “सवाल पूछना इंसानी फितरत है। हर जवाब नए सवालों को जन्म देता है। यही तकनीक का भविष्य है”।
निष्कर्ष: कल के लिए आज से तैयारी
अरविंद श्रीनिवास की कहानी सिर्फ तकनीकी सफलता की नहीं है, बल्कि एक सामान्य परिवार के बच्चे की है जिसने सपने देखे और उन्हें साकार किया। उनका संदेश स्पष्ट है – समय की बर्बादी छोड़कर भविष्य की तैयारी करें। Instagram की स्क्रॉलिंग में जो समय जा रहा है, वह AI सीखने में लगाएं।
आखिर में, अरविंद का यह कहना बिल्कुल सही है: “जो लोग AI को जल्दी अपनाएंगे, वही भविष्य को आकार देंगे, बाकी सब पीछे भागते रह जाएंगे”।
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