Sitaare Zameen Par Review: समाज को आईना दिखाती आमिर खान की दमदार पेशकश

Introduction

आमिर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘Sitaare Zameen Par’, जो 2007 की ‘Taare Zameen Par’ की स्पिरिचुअल सक्सेसर मानी जा रही है, अब सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। निर्देशक आर.एस. प्रसन्ना और लेखक दिव्य निधि शर्मा की यह फिल्म स्पोर्ट्स ड्रामा, सोशल थ्रिलर, और मानवता की जीत की एक जटिल लेकिन उम्मीद भरी कहानी को दर्शाती है।

कहानी की पृष्ठभूमि और थीम

फिल्म की कहानी एक गुस्सैल कोच गुलशन (आमिर खान) और दस न्यूरोडायवर्स बास्केटबॉल खिलाड़ियों के इर्द-गिर्द घूमती है। अदालत के आदेश से जब गुलशन को एक टीम को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी दी जाती है, तो यह उसकी जिंदगी का सबसे कठिन लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सफर बन जाता है। ये खिलाड़ी किसी भी तरह की जीत के लिए तैयार नहीं दिखते, लेकिन धीरे-धीरे कोच और टीम दोनों के भीतर बदलाव आने लगता है।

एक्टिंग: आमिर नहीं छाए, लेकिन चमकते हैं ‘सितारे’

आमिर खान ने एक बार फिर साबित किया है कि वो परदे पर अपनी मौजूदगी से किरदार में जान डाल सकते हैं। लेकिन इस बार फिल्म की असली ताकत हैं दस विशेष रूप से सक्षम कलाकार, जिनके नैचुरल और बेहतरीन प्रदर्शन ने फिल्म को अलग स्तर पर पहुंचाया है। चाहे वह गुस्सैल गोलू खान (सिमरन मंगेशकर) हो या रंग-बिरंगे बालों वाला बंटू (वेदांत शर्मा), हर किरदार याद रह जाता है।

निर्देशन और संवेदनशीलता

शेखर कम्मुला की तरह, आर.एस. प्रसन्ना भी बिना मेलोड्रामा के, एक साफ़, सटीक और दिल को छू लेने वाली कहानी कहने में कामयाब रहते हैं। फिल्म में कॉमेडी, इमोशन और खेल का सही संतुलन है। जबकि कहानी नई नहीं है (यह स्पेनिश फिल्म Champions की आधिकारिक रीमेक है), लेकिन इसकी भारतीय प्रस्तुति में दिल से जुड़ने वाली संवेदनशीलता है।

मूल्य और सामाजिक संदेश

फिल्म इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी, समावेशिता (inclusion) और समाज की रूढ़ मानसिकता को चुनौती देती है। यह दिखाती है कि “अलग” होना एक कमजोरी नहीं बल्कि एक विशेषता हो सकती है — और यह संदेश बिना भारी-भरकम संवादों के भी दिल तक पहुंचता है।

कमज़ोरियां

यदि फिल्म में कोई कमी है, तो वह है इसकी कहानी का पूर्वानुमेय ढांचा और थोड़ी असमान गति। लेकिन किरदारों और इमोशनल ग्रैविटी की वजह से यह कमी अधिक महसूस नहीं होती।


निष्कर्ष

Sitaare Zameen Par एक प्रेरणादायक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से प्रासंगिक फिल्म है जो ना सिर्फ मनोरंजन करती है, बल्कि सोचने पर मजबूर भी करती है। आमिर खान इस बार पीछे हटते हैं ताकि उन कलाकारों को स्पेस मिले जो पहली बार बड़े पर्दे पर हैं — और वही फिल्म की सबसे बड़ी जीत है।

रेटिंग: ★★★★☆ (4/5)

Read more

Scroll to Top