सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश: दिल्ली-NCR से सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर में भेजना अनिवार्य

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मुख्य घटनाक्रम:

  • तत्काल कार्रवाई का आदेश – सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को 8 सप्ताह में शेल्टर में भेजने का निर्देश दिया

  • Animal Birth Control Rules को “बेतुका” कहा – न्यायाधीशों ने 2023 के ABC नियमों को “absurd” करार देते हुए कहा “फिलहाल नियमों को भूल जाएं”

  • प्रतिदिन 2000 केस दिल्ली में – अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में रोजाना लगभग 2000 कुत्ते के काटने के मामले आते हैं

  • Animal Rights Groups का विरोध – PETA, FIAPO और अन्य संगठनों ने इस आदेश को “अवैज्ञानिक और अव्यावहारिक” बताया

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सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: “बच्चों की जान बचानी होगी”

11 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ – न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन ने दिल्ली-NCR के आवारा कुत्तों के मामले में एक कड़ा और व्यापक आदेश जारी किया।

न्यायालय ने स्थिति को “अत्यंत गंभीर” बताते हुए कहा: “हमें सड़कों को पूर्णतः आवारा कुत्तों से मुक्त बनाना होगा। कार्रवाई का समय अब है”

पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा: “शिशु और छोटे बच्चे किसी भी कीमत पर आवारा कुत्तों का शिकार नहीं होने चाहिए। हम बड़े जनहित को ध्यान में रखते हुए ये निर्देश जारी कर रहे हैं”

28 जुलाई से शुरू हुआ यह मामला: छह साल की बच्ची की मौत

यह सुओ-मोटो केस 28 जुलाई 2025 को शुरू हुआ था जब सुप्रीम कोर्ट ने Times of India की एक रिपोर्ट “City Hounded By Strays, Kids Pay Price” का संज्ञान लिया था।

रिपोर्ट में दो मामले विशेष रूप से चिंताजनक थे:

  • छह साल की छवि शर्मा की आवारा कुत्तों के काटने से मृत्यु, जिसके बाएं पैर, हाथ और हथेली पर गहरे घाव थे

  • चार साल के अभिषेक राय पर 23 जुलाई को दिल्ली के अलीपुर इलाके में आवारा कुत्तों के झुंड का हमला

न्यायालय ने कहा: “सप्ताह के पहले दिन हमारी पहली प्राथमिकता इस अत्यंत चिंताजनक और परेशान करने वाली समाचार रिपोर्ट पर संज्ञान लेना होना चाहिए”

चौंकाने वाले आंकड़े: 277% की वृद्धि तीन साल में

Integrated Disease Surveillance Programme (IDSP) के आंकड़े दिखाते हैं कि दिल्ली में कुत्ते के काटने के मामले:

साल मामले वृद्धि
2022 6,691
2023 17,874 167%
2024 25,210 277%
Jan 2025 3,196 (केवल एक महीना)

अस्पतालों की स्थिति और भी गंभीर:

  • सफदरजंग अस्पताल: 2021 में 63,361 मामले, जुलाई 2025 तक 91,009 (43.6% वृद्धि)

  • राम मनोहर लोहिया अस्पताल: अप्रैल 2022-मार्च 2023 में 39,216, अप्रैल 2023-मार्च 2025 में 45,432 (13% वृद्धि)

  • बाड़ा हिंदू राव अस्पताल: 2025 के जुलाई तक 4,861 मामले, पिछले साल की तुलना में 40% अधिक

दिल्ली की आवारा कुत्तों की संख्या: 10 लाख का अनुमान

2022-23 की जनगणना के अनुसार दिल्ली में लगभग 10 लाख आवारा कुत्ते हैं, जिसमें से केवल 4.7 लाख का स्टेरिलाइजेशन हुआ है। कुछ अनुमान इस संख्या को और भी अधिक बताते हैं।

2025 में अब तक MCD के प्रयास:

  • पिछले छह महीनों में 65,000 कुत्तों का स्टेरिलाइजेशन और वैक्सीनेशन

  • 49 रेबीज के मामले और 35,198 जानवरों के काटने की घटनाएं (जनवरी-जून)

  • प्रति दिन 10,000 कुत्तों के स्टेरिलाइजेशन की क्षमता, 21 केंद्रों में 13 NGOs के साथ काम

Supreme Court के व्यापक आदेश

न्यायालय ने निम्नलिखित कड़े निर्देश दिए:

तत्काल कार्रवाई (8 सप्ताह में):

  • दिल्ली-NCR (MCD, NDMC, नोएडा, गुड़गांव, गाजियाबाद) के सभी आवारा कुत्तों को उठाना

  • प्रत्येक शेल्टर में कम से कम 5,000 कुत्तों की क्षमता

  • CCTV निगरानी और पर्याप्त स्टाफ के साथ सुविधाएं

स्पष्ट निषेध:

  • स्टेरिलाइज्ड कुत्तों को वापस सड़कों पर नहीं छोड़ना होगा

  • जो भी व्यक्ति या संगठन बाधा डालेगा, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई

अतिरिक्त व्यवस्थाएं:

  • एक सप्ताह में 24×7 हेल्पलाइन स्थापना

  • कुत्ते के काटने की सभी घटनाओं की दैनिक रिपोर्टिंग

  • Anti-rabies vaccine की उपलब्धता की जानकारी का प्रचार

Animal Birth Control Rules 2023 को “बेतुका” कहा

न्यायालय ने Animal Birth Control Rules 2023 की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि “यह नियम बेतुका है”। इन नियमों के अनुसार:

  • आवारा कुत्ते को उठाया जाता है

  • स्टेरिलाइजेशन और वैक्सीनेशन किया जाता है

  • उसी इलाके में वापस छोड़ दिया जाता है

न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा: “सभी इलाकों से कुत्तों को उठाएं और उन्हें शेल्टर होम में भेजें। फिलहाल, इन नियमों को भूल जाएं”

Solicitor General का सहारा और Animal Activists पर तीखे सवाल

Solicitor General तुषार मेहता ने न्यायालय से कहा: “हम अपने बच्चों का बलिदान नहीं कर सकते केवल इसलिए कि कुछ व्यक्ति महसूस करते हैं कि वे जानवर प्रेमी हैं”

न्यायालय ने animal rights activists से सीधे सवाल पूछा: “ये सभी जानवर कार्यकर्ता, ये तथाकथित प्रेमी, क्या वे उन सभी बच्चों को वापस ला सकेंगे जो रेबीज का शिकार हो गए हैं? क्या वे उन बच्चों में जीवन वापस डाल सकेंगे?”

Animal Welfare Groups का तीव्र विरोध

PETA India की Dr. Mini Aravindan ने कहा: “दिल्ली की लगभग 10 लाख community dogs का जबरन हटाना उन communities में हंगामा मचाएगा जो उनसे गहराई से प्यार करती हैं और कुत्तों के लिए बड़े पैमाने पर अराजकता और पीड़ा का कारण बनेगा”

FIAPO की CEO भारती रामचंद्रन ने इसे “चौंकाने वाला फैसला” बताते हुए कहा: “यह WHO और World Organisation for Animal Health (WOAH) के guidance के खिलाफ है, साथ ही भारत के Animal Birth Control Rules 2023 के भी विपरीत है”

Global Context: भारत में रेबीज का संकट

World Health Organization के अनुसार:

  • भारत दुनिया के 36% रेबीज मौतों के लिए जिम्मेदार है

  • भारत में प्रतिवर्ष लगभग 18,000-20,000 रेबीज से मौतें होती हैं

भारत सरकार के आंकड़े (2024):

  • 37,17,336 कुत्ते के काटने के मामले

  • 54 संदिग्ध रेबीज मौतें

  • 5,700 लोग 2022-23 में रेबीज से मरे (Lancet study)

दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया: “विशालकाय समस्या”

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा: “आवारा कुत्तों की समस्या ने विशालकाय रूप धारण कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश महत्वपूर्ण हैं। हम लोगों को राहत देना चाहते हैं”

दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा ने इस आदेश की सराहना करते हुए कहा कि यह “दिल्ली को रेबीज और आवारा जानवरों के डर से मुक्त कराने” की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

MCD की 12-Constituency Pilot Project

Municipal Corporation of Delhi ने 12 विधानसभा क्षेत्रों में एक pilot project शुरू किया है, जिसका लक्ष्य 70-80% स्टेरिलाइजेशन करना है।

Project के मुख्य बिंदु:

  • 20 नए शेल्टर्स का निर्माण existing स्टेरिलाइजेशन सेंटर्स में

  • Aggressive या बार-बार काटने वाले कुत्तों के लिए विशेष व्यवस्था

  • RWAs, NGOs और animal welfare experts के साथ collaboration

Legal और Practical Challenges

Advocate Niharika Kashyap ने बताया: “Supreme Court के नए आदेश ने municipal bodies को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है – या तो वे court के latest instructions follow करें या ABC Rules पर टिके रहें”

मुख्य चुनौतियां:

  • दिल्ली NCR की आवारा कुत्तों की आबादी के लिए 8 सप्ताह में पर्याप्त shelters बनाना असंभव

  • भारी वित्तीय लागत और land की आवश्यकता

  • Constitutional duty (Article 51(a)(g)) के तहत animals के साथ compassion बरतना

International Best Practices vs Court’s Order

Animal welfare experts का कहना है कि “Netherlands, Jaipur, और Goa जैसे स्थानों में in-situ management और mass vaccination से रेबीज के cases near-zero हुए हैं”

WHO Recommendations:

  • Mass vaccination और sterilization effective है

  • Healthy, vaccinated community dogs को उनके original territories में रहना चाहिए

  • Shelters केवल sick, injured या street पर survive न कर पाने वाले कुत्तों के लिए हों

आने वाली चुनौतियां और समयसीमा

अगले 6 सप्ताह में:

  • High-risk areas से 5,000 कुत्तों को capture करना

  • Daily log maintenance सभी captured dogs का

  • Infrastructure report submit करना court को

राज्यसभा में भी मामला उठा:
BJP सांसद कमलजीत सहरावत ने Zero Hour में इस मुद्दे को उठाते हुए national shelter policy की मांग की।

निष्कर्ष: संतुलन की तलाश में भारत

यह Supreme Court का आदेश भारत में human safety और animal welfare के बीच संतुलन के सवाल को उजागर करता है। जहां एक तरफ रेबीज से हो रही मौतों और बढ़ते dog bite cases की चिंता है, वहीं दूसरी तरफ scientific evidence और international best practices का मामला है।

आने वाले सप्ताह तय करेंगे कि:

  • क्या दिल्ली-NCR इस massive operation को successfully execute कर पाएगा

  • Animal welfare groups अपनी legal challenges के साथ कितने प्रभावी होंगे

  • एक sustainable और humane solution possible है या नहीं

यह मामला न केवल दिल्ली के लिए बल्कि पूरे भारत के stray dog management के लिए एक precedent set करेगा, जहाँ करोड़ों आवारा कुत्ते हैं और हजारों लोग हर साल रेबीज से मरते हैं।

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