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Introduction
अगस्त 2025 में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भयंकर फ्लैश फ्लड्स ने पूरे देश की नजरें फिर से इस हिमालयी प्रदेश पर ला दीं। भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन ने मिलकर उत्तरकाशी के धराली गाँव समेत आसपास के इलाके तबाह कर दिए। चश्मदीदों, प्रशासन और राहत दलों ने हालात को ‘अभूतपूर्व आपदा’ कहा है।
क्या हुआ, कब और कहां?
5 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी के खीर गंगा नदी के ऊपरी कैचमेंट क्षेत्र में बादल फटने से अचानक प्रचंड बाढ़ आई। तेज बारिश के कारण मिट्टी, पत्थर और मलबे की जबरदस्त धारा नीचे आकर धराली गाँव और आस-पास के इलाके में समा गई। सैकड़ों घर, होटल, दुकानें और एक आर्मी कैंप भी बाढ़ की जद में आ गया।
जान-माल का नुकसान
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मृत्यु और लापता: कम से कम 5 लोगों की मौत की पुष्टि; 100 से ज़्यादा लोग अभी भी लापता हैं, जिनमें 11 भारतीय सेना के जवान भी शामिल हैं।
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घायल व बेघर: बड़ी संख्या में लोग घायल हुए, कई परिवार बेघर हैं। इंडियन आर्मी मेडिकल सेंटर, हर्षिल में इलाज जारी।
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इन्फ्रास्ट्रक्चर: 40-50 घर और 50 से अधिक होटल/लॉज बह गए; कई पुल और सड़कें क्षतिग्रस्त हैं।
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चारधाम यात्रा बाधित: गंगोत्री धाम की यात्रा रुक गई है, हिमालयी मार्ग अवरुद्ध हैं।
क्यों हुई इतनी भीषण बाढ़?
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प्राकृतिक कारण: उत्तरकाशी की भौगोलिक बनावट (steep slopes) और लगातार भारी बारिश ने जलस्नान और भूस्खलन को और विकराल बना दिया।
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बादल फटने की पुष्टि: बादल फटने की वजह से अचानक भारी जलप्रवाह और मलबा आया, लोकल तौर पर कहर बरपाया।
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संवेदनशीलता: हर साल मानसून के दौरान ऐसे हादसों का डर बना रहता है, लापरवाह निर्माण और नदी के करीब बसे बाजार इस रिस्क को बढ़ाते हैं।
राहत एवं बचाव कार्य
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राहत दल: आर्मी, ITBP, NDRF, SDRF, लोकल प्रशासन और पुलिस की टीमें राहत व बचाव कार्य में जुटी हैं।
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राहत आंकड़े: अब तक 130-150 लोगों को बचाया गया, दर्जनों को हेलिकॉप्टर व एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया।
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चुनौतियां: मौसम खराब, भूस्खलन और सड़कों की टूट-फूट ने राहत कार्यों में मुश्किलें बढ़ाईं। कई जगहों पर केवल ड्रोन और एयरलिफ्टिंग ही विकल्प बने।
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आईएएफ हेलिकॉप्टर: राहत सामग्री व रेस्क्यू के लिए वायुसेना के हेलिकॉप्टर मुस्तैद हैं, बाल-बाल बचे कई लोग।
प्रशासन का रुख
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद धराली पहुंचे, राहत कैम्पों का निरीक्षण किया और स्थानीय लोगों से मुलाकात की।
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रेड अलर्ट जारी; पर्यटक और स्थानीय लोग नदी-किनारे व संवेदनशील क्षेत्रों से दूर रहें।
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इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर जारी: 01374-222722, 9456556431, 0135-2710334 और अन्य।
असर और सबक
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प्राकृतिक आपदा का खतरा: उत्तराखंड का भूभाग जलवायु परिवर्तन, गलत निर्माण व जंगल कटान के कारण लगातार खतरों की ओर बढ़ रहा है।
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वैज्ञानिक विमर्श: एक्सपर्ट्स ने Early Warning System, weather stations, अवैध निर्माण पर रोक और disaster-resilient planning की तत्काल आवश्यकता बताई है।
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मानव-संवेदना: सैकड़ों लोग विस्थापित, जीविका व भविष्य अनिश्चित; राहत शिविर चले हैं।
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